
प्यार का दिन, प्यार के इजहार का दिन. अपने जज्बातों को शब्दों में बयां करने के लिए शायद इस दिन का हर धड़कते हुए दिल को बेसब्री से इंतजार होता है. हम बात कर रहे हैं प्यार के परवानों के दिन की यानी ‘वेलेंटाइन-डे’ की. 14 फरवरी को मनाए जाने वाले इस दिन को विभिन्न देशों में अलग अंदाज और विश्वास के साथ मनाया जाता है. जहां चीन में यह दिन ‘नाइट्स ऑफ सेवेन्स’ के नाम से मनाया जाता है, वहीं जापान और कोरिया में इस दिन को 'वाइट डे' का नाम से जाना जाता है.
इतना ही नहीं, इन देशों में इस दिन से लेकर पूरे एक महीने तक लोग अपने प्यार का इजहार करते हैं और एक-दूसरे को तोहफे व फूल देकर अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं. पश्चिमी देशों में पारंपरिक रूप से इसे मनाने के लिए ‘वेलेंटाइंस-डे’ के नाम से कार्ड आदान-प्रदान तो किया ही जाता है, साथ ही दिल, क्यूपिड, फूलों और ग्रीटिंग कार्डों जैसे प्रेम के चिह्नों को उपहार स्वरूप देकर अपनी भावनाओं का भी इजहार किया जाता है.
कैसे पड़ा इसका नाम 'वेलेंटाइंस डे’ऐसा माना जाता है कि ‘वेलेंटाइंस डे’ का नाम संत वेलेंटाइन के नाम पर रखा गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्यार करने वालों का स्पेशल दिन ‘वेलेंटाइंस-डे’ का नाम संत वेलेंटाइन के नाम पर क्यों पड़ा? नहीं, तो आइए हम आपको बताते हैं. दरअसल रोम में तीसरी सदी में क्लॉडियस नाम के राजा का राज हुआ करता था. क्लॉडियस का मानना था कि विवाह करने से पुरुषों की शक्ति और बुद्धि का खत्म हो जाती है. इसी के चलते उसने पूरे राज्य में यह आदेश जारी कर दिया कि उसका कोई भी सैनिक या अधिकारी शादी नहीं करेगा. लेकिन संत वेलेंटाइन ने क्लॉडियस के इस आदेश पर कड़ा विरोध जताया और पूरे राज्य में लोगों को विवाह करने के लिए प्रेरित किया. संत वेलेंटाइन ने अनेक सैनिकों और अधिकारियों का विवाह करवाया. अपने आदेश का विरोध देख आखिर क्लॉडियस ने 14 फरवरी सन् 269 को संत वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़वा दिया. तब से उनकी याद में यह दिन मनाया जाने लगा.
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