आपने अपनी ज़िन्दगी में कभी ये ज़रूर सुना या पढ़ा होगा कि जो घटित हुआ है, उसकी चर्चा करना तर्क है और जो अनजान है, उसकी और बढ़ना आस्था है. धार्मिक गुरू कहते हैं, आस्था मनुष्य को तकलीफों से तुरन्त आराम मिलने का एहसास कराती है. शायद यही वजह है कि 21वीं सदी में भी हमें कुछ अजीब उदाहरण समाज में देखने को मिल जाते हैं.
रविवार को उत्तर प्रदेश के बीकेटी में राधेश्याम यादव के घर जन्मे एक अर्द्ध विकसित भ्रूण को लोगों ने हनुमानजी मानकर उनके घर को आस्था का केंद्र बना डाला. गांव वाले उनके घर पर जुटने लगे और उस भ्रूण की पूजा-अर्चना करनी शुरू कर दी. यहां तक कि लोग चढ़ावा भी चढ़ाने लगे.