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हंसते और गुदागुदाते रहिए, लेकिन उससे पहले गुदगुदाने से जुड़ी इन 10 मज़ेदार बातों को जान लीजिए...



हंसी का फुल डोज़ जब तक मिलता रहेगा… तब तक लोगों के चेहरे पर चमक और दिल में खुशी बरकरार रहेगी, लेकिन कुछ लोगों को चुटकुलों से हंसी नहीं आती, कमबख़्त उन्हें हंसाने के लिए गुदगुदाना ही पड़ता है. पर दद्दा, आप किसी को भी हंसाने के लिए गुदगुदाने न लगना, क्योंकि पिटने का खतरा बना रहता है.
अब सीधी-सी बात है, किसी को गुदगुदाने के लिए हाथ लगाना पड़ता है और आप उसी व्यक्ति को छू सकते हैं, जो आपका करीबी हो. हालांकि मेरे पल्ले ये बात न अब तक पड़ी कि जब दूसरा हमारे शरीर को छूता है तो हम खिलखिला कर हंस पड़ते हैं, लेकिन जब हम खुद से अपने आप को टच करते हैं तो हंसी दूर की बात हो जाती है. इसलिए थोड़े हाथ-पैर मारे और पता लगाया कि दूसरों के हाथों की उंगलियों में ऐसा कौन-सा जादू होता जो हमें हंसने पर विवश कर देता है. वैसे, वैज्ञानिकों का मानना है कि किसी को गुदगुदाना सामाजिक संबंध स्थापित करने का अच्छा ज़रिया है. तो जानिए गुदगुदाने से जुड़े 10 मज़ेदार तथ्य.

1. किसी को गुदगुदाने से बनते हैं रिश्ते

अगर हम 19वीं शताब्दी में वापस जाएं तो चार्ल्स डार्विन की बात याद आती है, उन्होंने कहा था Tickling (गुदगुदाना) एक ऐसा Mechanism जो सामाजिक संबंध स्थापित करने में मददगार साबित होता है. मां का स्पर्श ही बच्चे का साथ कम्यूनिकेशन का पहला तरीका होता है.




और हां, ये तरीका दोस्तों के साथ रिश्ता स्थापित करने का भी काम करता है. इसे साइकोलॉजी का पांचवा हिस्सा भी माना जाता है. इसे ऐसा खेल भी कह सकते हैं जिसे हर इंसान कभी न कभी खेलता ही है.
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