निया में अगर कभी देशों का परम्परा या प्रथाओं के नाम पर वर्गीकरण हुआ, तो शोधकर्ताओं के लिए काफ़ी मुश्किल काम होगा कि हमारे इस अनोखे देश को किस तरह परिभाषित किया जाए. इस देश की हर बात निराली है. हमने जिन चीज़ों को महत्त्व नहीं देना चाहिए उन्हें दे रखा है और जिन्हें देना चाहिए उन्हें किनारे कर रखा है.
अभी आपको कुछ साफ़-साफ़ समझ नहीं आ रहा होगा. तो चलो ये बात समझाने के लिए मैं उस चीज़ का सहारा लेता हूं, जिसे सेहतमंद द्रव पदार्थ के मामले में भारत में काफ़ी सम्मान प्राप्त है. यानि कि दूध.